मातृभाषा के उन्नयन के लिए यूनेस्को द्वारा 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन प्रतिवर्ष 21 फरवरी को भाषायी, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक विविधता पूर्ण विषयों के साथ-साथ बहुभाषावाद संबंधी विषयों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। बढ़ावा देने के साथ-साथ जागरूकता फैलाने का भी कार्य करता आ रहा है।
एसएसजे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी ने अंतराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के संबंध में अपने संदेश में कहा कि हमें अपनी भाषाओं पर गर्व करना होगा। भाषा हमें एक देश से दूसरे देश, एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति, एक समाज से दूसरे समाज से जोड़ती है। भाषा ही सम्पूर्ण विश्व को विश्व बंधुत्व के भाव से जोड़ती है। हमें अपने देश की मातृभाषा के प्रति सम्मान का भाव रखना होगा। क्योंकि भाषा ही किसी देश की पहचान है। हमें अपनी भाषा के प्रति सदैव सजग रहना होगा। उन्होंने कहा कि यूनेस्को द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए 2022 के लिए ‘बहुभाषी शिक्षण के लिए तकनीकी का प्रयोग- चुनौतियां और अवसर’ विषय को रखा गया है। इस विषय पर हमारा विश्वविद्यालय भाषाओं के लिए कार्य कर भी रहा है।

अपने एक संदेश में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के संयोजक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि भाषा हमें विश्व से जोड़ती हैं। हमें अपनी मातृभाषा, बोली आदि को संरक्षण देने के लिए,उसे अपने व्यवहार में लाना होगा। जनमानस को भाषाओं के प्रति जागरुक करना होगा। भाषा हमारा गौरव है।

ऑनलाइन गोष्ठी में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रभारी डॉ ललित जोशी ने कहा कि जनसंचार के साधनों द्वारा भाषाओं का निरन्तर विकास हो रहा है। तकनीकी संसाधनों द्वारा भाषा हमें ग्राम समाज, नगरीय समाज, जनजातीय समाज से जोड़ रही है। तकनीक के सहारे भाषा और अधिक संचारित हो रही है।
जर्नलिज्म की छात्रा स्वाति तिवारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस हमें अपनी भाषा संस्कृति से जुड़ने का स्मरण कराता है। हमें उस समाज़ से अवगत कराता है जिससे हमारी जड़े जुड़ी हुई है। उच्च शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा भारत मे शिक्षित लोगों का दायरा बढ़ाने में भी मददगार होगी।मातृभाषा हमें शिक्षित करने के साथ साथ विचारवान बनाती है। देश में अगले शैक्षणिक सत्र से देश के कई तकनीकी शिक्षण संस्थान मातृभाषा में पाठ्यक्रमों की शुरुआत करेंगे ताकि अंग्रेजी भाषा की जानकारी के अभाव में कोई भी छात्र तकनीकी शिक्षा से वंचित ना रहे।
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर पत्रकार एवं जनसंचार की छात्रा रोशनी बिष्ट- भाषा वह डोर है, जो सबको एक दूसरे से बांधे हुए हैं। भाषाएं लोगों से संवाद स्थापित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। इसी डोर की मजबूती बढ़ाने के लिए हर साल आज के दिन 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।
शैली मंसूरी ने कहा कि हम सोशल मीडिया के माध्यम से मातृभाषा को और अधिक समृद्ध बना सकते हैं।
विभाग की छात्राओं ने पोस्टरों के माध्यम से मातृभाषाओं के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया।
ऑनलाइन गोष्ठी में ज्योति नैनवाल,दिव्या नैनवाल आदि विद्यार्थी शामिल हुए।