शनिवार दिनांक 10.09.2022 को भारत रत्न प. गोविन्द बल्लभ पंत जी के 135 वां जन्मदिवस एवं गो. ब. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोङा का  स्थापना दिवस समारोह मनाया गया. संस्थान के सेमीनार हॉल में आयोजित इस समारोह का शुभारम्भ माननीय विशिष्ठ अतिथियों द्वारा प. गोविन्द बल्लभ पंत जी की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन द्वारा हुआ. 

 

इस अवसर पर 28वें प. गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान के वक्ता एवं मुख्य अतिथि डा. नवीन जुयाल, भूतपूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, पी.आर.एल. अहमदाबाद एवं फैलो, नेशनल जियोफिजिकल यूनियन एण्ड जियोफिजिकल सोसाईटी ऑफ इण्डिया, विशिष्ठ अतिथि सुबोध उनियाल, मंत्री, वन एवं तकनीकी शिक्षा, उत्तराखण्ड सरकार, प्रो० ए०एन० पुरोहित, प्रो० एन० एस० भण्डारी, कुलपति, एस.एस.जे., विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा, प्रो० शेखर पाठक, पद्मश्री, नैनीताल, हेम पाण्डे, पूर्व सचिव, भारत सरकार, डा० आर०बी०एस० रावत, पूर्व पी.सी.सी.एफ., उत्तराखण्ड तथा समारोह के अध्यक्ष के रूप में सांसद, अजय टम्टा, लोक-सभा उपस्थित थे.

 

इनके अलावा डा० ललित पाण्डेय, उत्तराखंड लोक सेवा निधि, अल्मोड़ा, प्रकाश चन्द्र जोशी, नगर पालिका अध्यक्ष, अल्मोड़ा, प्रो. जफ़र कुरैशी, डा० एस०एस० सामंत, मालिक मजहर सुलतान, सुशील बहुगुणा, बी०एस० कोटिया, डा० ललित तिवारी, अनिल बिष्ट, आई०टी०बी०पी०, डॉ. एस०पी० सती, राजीव, गजेन्द्र पाठक, स्याही देवी समिति, शीतलाखेत, ग्राम प्रधान ज्योली, कटारमल सहित कई गण्यमान अतिथियों ने इस समारोह में शिरकत की.

 

कार्यक्रम के आरम्भ में संस्थान के निदेशक प्रो० सुनील नौटियाल ने सभी अतिथियों तथा आगंतुकों का स्वागत करते हुए संस्थान की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। इस अवसर पर उन्होंने कुली बेगार प्रथा का उल्लेख करते हुए पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त जी के हिमालय क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में बताया. उन्होनें बताया कि यह दशक इकोसिस्टम रिस्टोरेशन के रूप में मनाया जा रहा है अतः हमें इस क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता है. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने श्रीमती इला पन्त जी का सन्देश सभी को सुनवाया. उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में संस्थान नें जैव विविधता संरक्षण, सामाजिक एवं आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन तथा जल जमीन संसाधनों के प्रबंधन के क्षेत्र में समन्वित प्रयास किये है। संस्थान ने विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं जैसे हिमालयी क्षेत्र के लोगों की आजीविका वर्धन, जैव विविधता संरक्षण, चीड की पत्तियों से विभिन्न सामग्रियों का निर्माण, औषधीय पादपों के उत्पादन के तरीकों को जनमानस तक पहुंचाना तथा पानी के स्रोतों के संरक्षण इत्यादि को धरातल पर उतारने हेतु प्रयासरत है। उन्होनें बताया कि इस अवसर पर संस्थान के विभिन्न क्षेत्रीय केन्द्रों में भी आज लोकप्रिय व्याख्यान माला का आयोजन किया जा रहा है।

 

संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० जे०सी० कुनियाल ने 28वें प. गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान के वक्ता डा. नवीन जुयाल, भूतपूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, पी.आर.एल. अहमदाबाद एवं फैलो, नेशनल जियोफिजिकल यूनियन एण्ड जियोफिजिकल सोसाईटी ऑफ इण्डिया का परिचय दिया. 

 

इसके उपरान्त डा. नवीन जुयाल ने “हिमालयी क्षेत्र में अपरिहार्य वायुमंडलीय तापमान वृद्धि, हिममंडल क्षरण और भू-परिदृश्य अस्थिरता” विषय पर संस्थान का 28वां प. गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान प्रस्तुत किया. अपने व्याख्यान में उन्होंने जलवायु परिवर्तन तथा उससे हो रहे प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने हाल ही में पाकिस्तान में आयी भीषण बाढ़, तथा पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में हो रही प्राकृतिक आपदाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से हो रहे प्रभाव बहुत चिंता का विषय है. अपने व्याख्यान में उन्होंने हिमालयी क्रायोस्फीयर/हिममंडल, हिमनद स्वास्थ्य का पर्यवेक्षण, प्रचलित जलवायु और तापक्रम वृद्धि की प्रवृतियाँ, जलवायु-हिमनद सम्बन्ध, हिममंडल प्रतिक्रया, ब्लैक कार्बन, हिमालय में हो रहे भूस्खलन और आकस्मिक बाढ़, पैराग्लेशियल जोन और फ़्लैश फ्लड, आवर्ती भूकम्पीयता, वर्षा और बर्फ आधारित जलस्रोत, जलविद्युत परियोजनाओं, कृषि उत्पादकता सहित कई मुद्दों पर विस्तार से वर्णन किया. 

 

समारोह में अपने संबोधन में विशिष्ठ अतिथि सुबोध उनियाल, मंत्री, वन एवं तकनीकी शिक्षा, उत्तराखण्ड सरकार ने कहा कि पंडित गोविन्द बल्लभ ने जल, जगल और जमीन के संरक्षण की बात कही थी. उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण तथा विकास से संबधित कोई भी कार्य बिना सामाजिक भागीदारी के कर पाना संभव नहीं है. अतः हमें जनता की सहभागिता से ही कार्य करने होंगे. उन्होंने वनाग्नि को जल स्रोतों के क्षरण हेतु जिम्मेदार बताया तथा कहा कि हमें जनता की सहभागिता से ही इस पर नियंत्रण करने के प्रयास करने होंगे. उन्होंने ग्लेशियल सेडीमेंटेशन के बारे में मंत्रीमंडल में चर्चा करने की बात कही.

 

इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथियों क्रमशः प्रो० एन० एस० भण्डारी, कुलपति, एस.एस.जे., विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा, प्रो० शेखर पाठक, पद्मश्री, नैनीताल, हेम पाण्डे, पूर्व सचिव, भारत सरकार, डा० आर०बी०एस० रावत, पूर्व पी.सी.सी.एफ., उत्तराखण्ड ने भी सभा को संबोधित किया तथा अपने विचार प्रस्तुत किये.

 

अपने अध्यक्षीय भाषण में सांसद एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष अजय टम्टा जी ने संस्थान द्वारा चलाये जा रहे आजीविका वर्धन में सहायक तथा शोध कार्यों की प्रशंसा की तथा कहा कि पं. पन्त द्वारा देश, समाज व मानव कल्याण के लिए किये गये कार्यों को हमें आत्मसात करने की आवश्यकता है।

 

समारोह में संस्थान की इन-हाउस परियोजना के तहत ज्योली विलेज क्लस्टर में गठित यंग चेंज लीडर कु० दीक्षा उपाध्याय ने संस्थान द्ववारा गावों में की जा रही विभिन्न शोध एवं विकास सम्बंधित क्रियाकलापों के बारे में बताया.

 

इस कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं शोधार्थियों समेत लगभग 50 प्रतिभागियों नें प्रतिभाग किया। अन्त में गणमान्य अतिथियों द्वारा संस्थान के प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया। समारोह कार्यक्रम का संचालन शोध छात्र कु० अदिति मिश्रा ने किया. समारोह का समापन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ई० . किरीट कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।