अल्मोड़ा-शिक्षा समन्वय समिति जनपद अल्मोड़ा के सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक ने आज जारी बयान में कहा कि विधानसभा चुनाव में कहीं कहीं अव्यवस्था देखनी की मिली है। निर्वाचन आयोग को भी गंभीरता से सोचना चाहिए कि मतदान केंद्र पर पोल कराया जाना है या अनावश्यक रूप से कागजी कार्रवाई की पूर्ति करनी है जो कि सारी रात बैठकर भी पूरी नहीं होती।हर चुनाव में अनावश्यक कागजी कार्रवाई बढ़ ही रही है।निर्वाचन आयोग के सदस्यों को भी कभी मतदान दल के साथ एक रात बूथ पर बिताना चाहिए और मतदान से संबंधी मशीनों को जमा केन्द्र पर जमा करने में जो परेशानी होती है उसे गंभीरता से समझना चाहिए।उन्होंने कहा कि चार प्रकार के लिफाफों की क्या जरूरत है?क्या एक ही तरह के लिफाफे से कम लिफाफों में काम नहीं चल सकता है?राज्य सरकार को सबसे पहले जिला स्तर पर ऐसे बड़े बहुउद्देशीय भवनों का निर्माण करने की आवश्यकता है जहां चार पांच हजार कार्मिकों के एक साथ प्रवेश करने की क्षमता हो।अब कोई भी बता सकता है कि जिन भवनों की क्षमता हजार व दो हजार की हो और वहां चार-पांच हजार कार्मिकों द्वारा प्रवेश कर दिया जाता है तो अव्यवस्था का आलम तो होना स्वभाविक है और गश खाने की नौबत लगातार बनी रहती है। वर्तमान में उत्तराखंड में ऐसे भवन कहीं नहीं है।हर जगह कामचलाऊ व्यवस्था आजादी के बाद से ही चल रही है।निलंबन,एफ आई आर दर्ज न हो इसलिए कार्मिक चुप रहते हैं।चुनाव सुधार नहीं हो रहे हैं,यह भी निर्वाचन आयोग को सोचना चाहिए।बल्कि दिन प्रतिदिन इसे कठिन बनाया जा रहा है जो ठीक नहीं है।सरकार को वर्तमान दशा और दिशा बदलने की भी आवश्यकता है और धरातल की सच्चाई से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।मतदान केन्द्र पर परेशानी स्वाभाविक है।लेकिन बाक्स या मशीन जमा करते समय की परेशानी तो मानवीय है।इसमें आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है।जब एक से चार घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद भी एक बाक्स भी जमा नहीं होता है तो समीक्षा की आवश्यकता है।जमा करने की प्रक्रिया को आसान बनाने की आवश्यकता है।राज्य निर्वाचन आयोग व केन्द्रीय आयोग को भी गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि चुप रहने की सीमा हमेशा टूटती है।इस बात से सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को भी गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि कार्मिक,शिक्षकों की परेशानी से राज्य निर्वाचन आयोग को भी अवगत कराया जायेगा।