आजादी के अमृत महोत्सव के तहत सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा और यू सर्क (उत्तराखंड साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च सेन्टर, देहरादून) के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय में स्थापित हरेला पीठ द्वारा हरेला महोत्सव का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी, हरेला पीठ के निदेशक प्रो जगत सिंह बिष्ट, यू सर्क के निदेशक प्रतिनिधि एवं वैज्ञानिक डॉ भवतेश शर्मा,हरेला पीठ के संयोजक प्रो. अनिल कुमार यादव, बीज वक्ता प्रो.देव सिंह पोखरिया एवं वैज्ञानिक डॉ.पी.एस.नेगी आदि अतिथियों ने सरस्वती एवं भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

विश्वविद्यालय के हरेला पीठ द्वारा उगाए गए हरेला की पूजा-अर्चना कर एवं हवन कर हरेला धारण किया।
इसके उपरांत चले उद्घाटन सत्र में संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत का गायन किया। तदुपरांत अतिथियों को हरेला पीठ के सदस्यों द्वारा प्रतीक चिन्ह, शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।

इस अवसर पर हरेला पीठ के निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कहा- हरेला लोक जीवन से जुड़ा है। लोक संस्कृति संरक्षण के लिए स्थापित किए गए हरेला पीठ द्वारा माननीय कुलपति प्रो.नरेंद्र सिंह भंडारी के नेतृत्व में 16 जुलाई से 22 जुलाई,2022 तक आयोजित हो रहा है। जिसके तहत प्रत्येक दिवस विविध कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि यू सर्क के सहयोग से हरेला पीठ के कार्यक्रमों में तेजी आ रही है। उन्होंने कहा कि लोकपर्व हरेला का पर्यावरण के संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

मुख्य आधार व्याख्याता प्रो देव सिंह पोखरिया ने कहा की लोक में परंपराएं पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं। हरेला हमारे प्राचीन संस्कृति से जुड़ा है। हरेले में जौ, मक्का आदि को रोपा जाता है और हरेला की पूजा के बाद काटा जाता है। साथ ही सिर में धारण किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोपाई वाले खेतों में महल की टहनियां रोपी जाती हैं। हरेला भावनाओं से यह पर जुड़ा है। हरेला में गीत के माध्यम से परिवार के सदस्यों के सिर पर हरेला रखा जाता है। प्रकृति के प्रत्येक जड़-जीवित पदार्थ के प्रति शुभ कामना की जाती है। लोक और वेद आपस में जुड़े हैं। वेद में लोक से कई महत्वपूर्ण बातें छुपी हैं जिनको प्रकाश में लाने की आवश्यकता है।

यू सर्क उत्तराखंड साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च सेन्टर, देहरादून
के निदेशक प्रतिनिधि एवं वैज्ञानिक डॉ भवतेश शर्मा ने एसएसजे विश्वविद्यालय के कुलपति, हरेला पीठ के सभी सदस्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हरेला पीठ द्वारा हमारे प्राचीन परम्पराओं को प्रकाश में लाया जा रहा है। हरेला पीठ के द्वारा जो कार्य किये जा रहे हैं वो भविष्य में मील का पत्थर साबित होंगी। उन्होंने यू सर्क द्वारा पर्यावरण के संरक्षण के लिए राज्यभर में किये जा रहे कार्यों/क्रिया कलापों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यू सर्क की निदेशक डॉ अनीता रावत के नेतृत्व में हम प्रत्येक जिले, प्रत्येक क्षेत्र, प्रत्येक विश्वविद्यालयों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्य कर रहे हैं, सहयोग दे रहे हैं। प्रकृति के संरक्षण के लिए समुदाय के साथ मिलकर कार्य करें।

उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने हरेला पर्व की सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा हम अपनी जड़ों से जुड़ें। हम अपने कर्म क्षेत्र से जुड़ें। ‘पहल’ परिवार के माध्यम से मैंने पर्यावरण संरक्षण के लिए आरम्भ से ही कार्य किया। शिक्षा तब फलीभूत होती है जब समाज से जुड़ें। सोच को क्रियान्वित किया जाना चाहिए। पर्यावरण और संस्कृति संरक्षण के लिए हरेला पीठ एक नया प्रयोग और विचार है।
हरेला पीठ के तहत आयोजित कार्यक्रम में कहा कि यूसर्क दके साथ हम तीव्रता से कार्य करें। हम यू सर्क के साथ जल्दी जी एमओयू कर रहे हैं। उनके सहयोग से हम भविष्य में एक माध्यम से विविध कार्यक्रम आयोजित कराएंगे। उन्होंने सभी को हररला पर्व की बधाई दी।

हवन को लेकर वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ बलवंत कुमार, डॉ धनी आर्य, डॉ मंजुलता उपाध्याय ने कहा कि जहां पर हवन किया जा रहा है वहां पर आए हुए बैक्टीरिया 50 प्रतिशत कम हुए,कवक भी खत्म हुई। शोध द्वारा यह परिणाम आये हैं कि हवन में प्रयोग किये जाने वाले पदार्थों के धुंवे से आस पास के कवक और जीवाणु कम हुए हैं। अभी वनस्पति विज्ञान विभाग इस दिशा में शोध कर रहा है। कल्चर मीडियम युक्त प्लेट को धुंवे के संपर्क में लाने से 50 प्रतिशत कवक कम हुए और जीवाणु बहुत हद तक कम हुए हैं। सिद्ध होता है कि हवन किये जाने से पर्यावरण शुद्ध होता है। वनस्पति विज्ञान विभाग अभी भी इस दिशा में शोध कर रहा है।

हरेला महोत्सव का संचालन योग विज्ञान विभाग के डॉ नवीन भट्ट और हरेला पीठ के सह संयोजक डॉ बलवंत कुमार ने आभार जताया।

उद्घाटन सत्र में हरेला पीठ के हरेला पीठ के संयोजक प्रो अनिल कुमार यादव, आयोजक सदस्य डॉ बलवंत कुमार, डॉ. धनी आर्य, डॉ.नंदन सिंह बिष्ट (निदेशक, एन.आर.डी.एम.एस.), प्रो.वी.डी.एस. नेगी, प्रो.ए.के.नवीन, डॉ. सबीहा नाज, डॉ वंदना जोशी, डॉ.मंजुलता उपाध्याय, डॉ. ममता असवाल, डॉ. रवींद्र कुमार, डॉ.ललित जोशी, डॉ.मनमोहन कनवाल, डॉ. राजेश राठौर, डॉ. मनीष त्रिपाठी, डॉ अरविंद पांडे, सरिता पालनी,मनीष ममगई, रीतिका टम्टा, गिरीश अधिकारी, जयवीर नेगी आदि के साथ विश्वविद्यालय के शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मी, विद्यार्थी मौजूद रहे।