सम्पूर्ण हिमालई क्षेत्र में पारंपरिक रूप से बिच्छू बूटी (शिशुण) को सब्जी के रूप में अथवा कई तरह से प्रयोग में लाया जाता रहा है। बिच्छू बूटी एक बहुउपयोगी पौधा है। आवश्यकता है हम लोग भी इस पौधे के गुणों को पहचाने और उचित रिसर्च के साथ  जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिये इस अमूल्य पौधे का उपयोग करे। इसी उद्देश्य के साथ ग्रीन हिल्स ट्रस्ट पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीस द्वारा वित्त पोषित ‘बिच्छू बूटी (शिशुण) की आजीविका क्षमता से रोजगार के अवसर परियोजना पर कार्य कर रही है|

6 अगस्त 2021 को भारत अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ग्रीन हिल्स ट्रस्ट अल्मोड़ा  द्वारा लंमगड़ा ब्लॉक के कपकोट ग्राम में शिशूण की पोषकता के बारे में जागरूकता कार्यक्रम किया गया। ग्रीन हिल्स ट्रस्ट की डॉ वसुधा पन्त द्वारा शिशूण  से बनने वाले विविध खाध्य पदार्थों के बारे में बताया गया और इस बारे में प्रकाश डाला गया की कैसे इस पौधे को रोजगार का साधन बनाया जा सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र अल्मोड़ा के डॉ उमा नौलिया द्वारा बिच्छू बूटी से निर्मित तरल जैविक खाद  ( हर्बल कुमार जल ) के फसलों में उपयोग के बारे में बताया गया। इस अवसर पर कपकोट ग्राम प्रधान श्रीमती   हेमा      कपकोटी,  ठाठ ग्राम प्रधान श्रीमती सरिता टम्टा, लमगड़ा न्याय पंचायत प्रभारी श्री किशन सिंह दोसाद सहित 50 ग्रामीणों ने  जिसमे मुख्यतया महिलाये थी ने प्रतिभाग किया। बिच्छू बूटी के उपयोग के अतिरिक्त इस कार्यक्रम में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अल्मोड़ा के लोगों के योगदान के बारे में भी चर्चा की गयी । अल्मोड़ा के कुछ प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जैसे पण्डित हरगोविन्द पन्त ,विक्टर मोहन जोशी,राम सिंह धौनी,बदरीदत्त पांडे, दुर्गा सिंह रावत आदि के बारे में भी चर्चा करी गयी।