अल्मोड़ा- एक बयान में यूथ कांंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता वैभव पान्डेय ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि क्या कोविड गाईड लाईन केवल जनता के लिए बनाई गयी हैं?उन्होंने सरकार से दो टूक शब्दों में सवाल किया कि क्या राजनैतिक पार्टियों के कार्यक्रमों को सरकार के द्वारा इस कोविड गाईडलाईन के दायरे से बाहर रखा गया हैं?उन्होंने कहा कि राजनैतिक कार्यक्रमों एवं रैलियों से क्या कोरोना नही फैलेगा?उन्होंने कहा कि जब सरकार राजनैतिक रैलियों और कार्यक्रमों में रोक नही लगा पा रही है और सैकड़ों की संख्या में ऐसे कार्यक्रमों में लोग शामिल हो रहे हैं जहां ना ही मास्क और ना ही फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया जा रहा है तो फिर किस आधार पर धार्मिक,सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रोक लगाई गयी है?उन्होंने कहा कि एक तरफ राजनैतिक रैलियां,राजनैतिक यात्राएं तथा कार्यक्रम धड़ल्ले से हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर हमारे तीर्थ स्थलों,चार धामोंं में आम जनता के लिए आवागमन बंद किया गया है।मेले और धार्मिक आयोजनों,सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रोक लगाई गयी है।उन्होंने कहा कि एक तरफ राजनैतिक आयोजनों के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट जरूरी नही है तो क्यों शादी विवाहों के आयोजन के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट जरूरी की गयी है?उन्होंने कहा कि जब बाहर से नेताओ के प्रदेश में आगमन पर आरटीपीसीआर रिपोर्ट लाना अनिवार्य नहीं है तो आम जनता के लिए इसे क्यों अनिवार्य किया गया है ये समझ से परे है।उन्होंने कहा कि अगर राजनैतिक कार्यक्रमों या रैलियों में कोविड गाईडलाईन के अनुसार रोक है तो सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि हाल में हुए राजनैतिक कार्यक्रमों में दो सौ से अधिक की भीड़ होने पर कितने राजनैतिक दलों अथवा नेताओं के खिलाफ आपदा अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया?उन्होंने कहा कि यदि इन राजनैतिक दलों और नेताओं के विरूद्ध कार्यवाही नही की गई तो सारे नियम आम जनता पर ही क्यों थोपे जा रहे हैं?वैभव पान्डेय ने कहा कि जहां आम गरीब जनता का सड़क पर बिना मास्क में सीधे पांच सौ रूपये का चालान काटकर सरकार अपना खजाना भर रही है वहीं दूसरी ओर सैकड़़ो की संख्या में सोशियल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाती राजनैतिक रैलियों पर आंखे मूंदे बैठना सरकार की हिटलरशाही को स्पष्ट प्रदर्शित करता है।उन्होने कहा कि यदि चार धामयात्रा,धार्मिक आयोजनों,सामाजिक कार्यक्रमों,मेलों आदि को करने की इजाजत भी सरकार देती तो लाखों की संख्या में ऐसे लोग जो आज बेरोजगार बैठे हैं उन्हें भी रोजगार के साधन उपलब्ध होते।