पूर्व उपाध्यक्ष,एन.आर.एच.एम. बिट्टू कर्नाटक ने आज जिलाधिकारी अल्मोडा के माध्यम से एक ज्ञापन प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रेषित कर उन्हें अवगत कराया कि  उत्तराखण्ड राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अर्न्तगत कार्यरत आशा वर्कर्स तथा आशा फैसिलेटरों को अपने कार्यक्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा सम्बन्धी समस्त कार्यो/दायित्वों का निर्वहन करना होता है । महिलाओं/बुजुर्गो/बच्चों की विशेष देख-देख के साथ ही कोरोना काल में इनके द्वारा अहम भूमिका निभाई गयी है । किन्तु सुविधा के नाम पर इन्हें उचित मानदेय तक नहीं दिया जा रहा है ।

                                कर्नाटक ने कहा कि सन्तोषजनक मानदेय व सुविधायें न दिये जाने के कारण आज ये कर्मचारी आन्दोलित हैं । इन कर्मचारियों की उचित मांगों को पूर्ण किये जाने हेतु उनके द्वारा मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन दिनांक 22.07.2021 द्वारा प्रेषित किया गया था जिस पर सकारात्मक पहल न होने के कारण आशा कार्यकत्रियों/आशा फैसिलेटरों को आन्दोलन हेतु बाध्य होना पडा । उन्होंने कहा कि इनके आन्दोलन का राजनीतिकरण न हो इस सन्दर्भ में दलगत राजनीति से दूर रहकर स्वयं को अपनी आशा बहनों के आन्दोलन से अपने को दूर रखा क्योंकि उन्हें विश्वास था कि माननीय मुख्यमंत्री जी आशा बहनों की उचित मांगों को अवश्य पूरा करेंगे ।                                                                                                                  

    उन्होने मुख्यमंत्री  से कहा कि आशा  कार्यकर्ताओं को मानदेय  के नाम पर रू. 1650/-और कोरोना काल का रू. 1000/-मात्र का भुगतान किया जाता है । इसके विपरीत आशा फैसिलेटरों को माह में मात्र 20 दिन की ड्यूटी दी जाती है जबकि कार्य पूरे माह का लिया जाता है और दूरस्थ स्वास्थ्य केन्द्रों में एक दिन के विजिट का रू. 350/-दिया जाता है । कर्नाटक ने कहा कि इन आशा फैसिलेटरों को कोई मानदेय नहीं दिया जाता है और न ही दूरस्थ स्वास्थ्य केन्द्रों की देख रेख के लिये यात्रा करने पर यात्रा भत्ता । जबकि 20 से 30 आशा कार्यकर्ताओं की देख -रेख तथा उनके द्वारा किये गये कार्यो के मूल्यांकन हेतु आशा फैसिलेटर नियुक्त किये गये हैं ।

         कर्नाटक ने मुख्यमंत्री जी से मांग की कि इन कर्मचारियों को सन्तोषजनक/नियमित मानदेय तथा 30 दिन की ड्यूटी दिये जाने के साथ ही समाज में इनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुये इन्हें स्थाई नियुक्ति दी जाय, जब तक स्थाई नियुक्ति नहीं दी जाती तब-तक इन कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत संविदा कर्मचारी घोषित किया जाय । पुनः उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी आशा कर्मचारियों के हित में उनकी मांगों पर व्यक्तिगत रूचि रखते हुये प्राथमिकता आधार पर  निर्णय लेकर तद्सम्बन्धी आदेश निर्गत करने का कष्ट करेंगे ताकि इन्हें विवश होकर भूख हडताल जैसा फैसला लेने के लिये बाध्य न होना पडे ।