देहरादून-पूर्व राज्यमंत्री एवं उत्तराखण्ड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिट्टू कर्नाटक ने आज विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों के विधानसभा देहरादून के सामने 11 दिन से प्रचालित धरना-प्रदर्शन को धरना-स्थल पर जाकर समर्थन दिया तथा प्रदेश सरकार से मांग की कि द्वेषपूर्ण राजनीति के तहत अन्यायपूर्ण तरीके से बर्खास्त किए गए विधानसभा कर्मचारियों को तुरन्त वापस लिया जाए।धरने को सम्बोधित करते हुए बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि विधानसभा में कार्यरत चुनिंदा कर्मचारियों को जिनकी नियुक्ति 2016 के बाद हुई थी को विधानसभा से निकाला जाना जहां सरकार की अपने चहेतों को बचाने की स्पष्ट साजिश है वहीं दूसरी ओर ये भारतीय संविधान में निहित समानता के अधिकार अनुच्छेद 16 का भी स्पष्ट उल्लंघन है।उन्होंने कहा कि समानता का अधिकार अनुच्छेद 16 स्पष्ट करता है कि राज्य के अधीन किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से सम्बन्धित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी।ऐसे में 2001 से 2016 तक की नियुक्तियों को वैध और 2016 से आगे की नियुक्तियों को अवैध ठहराकर सरकार ने समानता के अधिकार अधिनियम की धज्जियां उडा़ दी हैं।उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा में हुई नियुक्तियां गलत तरीके से की गयी हैं तो 2001 से की गयी सभी नियुक्तियों को तत्काल निरस्त किया जाए।लेकिन सरकार ऐसा नहीं करेगी क्योंकि 2016 से पहले विधानसभा में हुई नियुक्तियों में भाजपा के मंत्रियों के नजदीकियों को बंदरबांट की गयी हैं।उन्होंने कहा कि विधानसभा में 2016 के बाद वाले कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर वाहवाही लूटने वाली स्पीकर ऋतु खंडूड़ी स्वयं सवालों के घेरे में हैं।उन्होंने कहा कि निजी कारणों से विधानसभा में 2016 से पहले के बैकडोर भर्ती वालों को बचाने का कार्य वे कर रही हैं।2016 से पहले की नियुक्तियों में कार्यवाही ना होना सीधे तौर पर उनकी भाई भतीजावाद की राजनीति को सिद्ध करता है।क्योंकि एक ओर वह हाईकोर्ट में खुद मान चुकी हैं की वर्ष 2001 से लेकर 2022 तक की सभी भर्ती अवैध हैं।उनके द्वारा हाईकोर्ट में काउंटर फाइल कर खुद कबूलनामा किया है।इसके बाद भी 2016 से पहले वालों को बचाने के लिए उन्होंने अब अपनी साख तक दांव पर लगा दी है।2016 से पहले विधानसभा में अवैध रूप से भर्ती हुए कई कर्मचारी ऐसे हैं,जिनकी विधानसभा में नियुक्ति उनके पिता बीसी खंडूड़ी के मुख्यमंत्री रहते हुए हुईं।इसमें तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी के पर्यटन सलाहकार की बेटी सहित कई हाई प्रोफाइल लोगों के परिजन शामिल हैं।श्री कर्नाटक ने कहा कि इन्हीं लोगों को बचाने के लिए स्पीकर ने भेदभाव भरी कार्यवाही करने से भी परहेज नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कार्यवाही को स्पीकर सत्य की जीत करार दे रहीं हैं, दरअसल वो एक अधूरा और झूठा सत्य है।खुद स्पीकर की बनाई डीके कोटिया समिति ने भी अपनी रिपोर्ट के प्वाइंट नंबर 12 में साफ किया है कि राज्य गठन के बाद से लेकर अभी तक की सभी भर्तियां अवैध हैं।इसी के साथ विधानसभा के हाईकोर्ट में दाखिल काउंटर के प्वाइंट नंबर 14 में भी विधानसभा ने सभी भर्तियों को अवैध करार दिया है।इसके बाद भी स्पीकर का विधिक राय के नाम पर 2016 से पहले की नियुक्ति वालों को बचाना असंवैधानिक है।उन्होंने कहा कि कार्यवाही सभी के खिलाफ एक समान रूप से होनी चाहिए।सत्ता पक्ष के लोगों को बचाने के लिए दोहरे नियम लागू हो रहे हैं।एक ही प्रक्रिया से भर्ती हुए सभी अवैध भर्ती वालों पर एक्शन होना चाहिए।उन्होंने कहा कि जीरो टालरेंस का दावा करने वाली भाजपा सरकार की पोल जनता के समक्ष खुल चुकी है।उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि यदि कार्यवाही की जानी है तो 2001 से 2022 तक की सभी अवैध नियुक्तियों को निरस्त किया जाए अन्यथा द्वेषपूर्ण राजनीति के तहत निकाले गये 2016 के बाद के कार्मिकों की भी नियुक्ति बहाल की जाए।उन्होंने कहा कि आज इस कड़ाके की ठन्डे में ये कर्मचारी विधानसभा के बाहर धरना देने के लिए मजबूर हैं जो सरकार और माननीयों के मुंह पर एक करारा तमाचा है।उन्होंने कहा कि सफेद कुर्ता पायजामा पहन कर स्वयं को जनता का सेवक बताने वाले नेता आज गायब हैं। उन्होंने कहा कि क्या नेताओं को केवल चुनावों के दौरान आम जनता की याद आती है?आज जब इन बर्खास्त कर्मचारियों को उन नेताओं के समर्थन की दरकार है तो इस समय में स्वयं को नेता कहने वाले ये माननीय नदारद हैं जिसे जनता को समझने की जरूरत है। बिट्टू कर्नाटक के साथ धरने को समर्थन देने वालों में रोहित शैली,राजेश अधिकारी आदि शामिल रहे।