पूर्व दर्जा राज्य मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने कोरोना वारियर (कोविड-19) कर्मचारियों के भत्तों, वेतनवृद्वि एवं उच्चीकृत वेतनमान आदि पर रोक लगाने के मामले पर नाराजगी जताते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया है। कर्नाटक ने ज्ञापन में कहा है कि कोरोना वारियर (कोविड-19) कर्मचारियों के भत्तों,वेतनवृद्वि एवं उच्चीकृत वेतनमान आदि पर रोक लगा दी गयी है जिससे कोविड-19 कार्यो में लगे कर्मचारी काफी आहत हैं । जो कर्मचारी लागडाउन की अवधि में अपने जीवन को दांव पर लगाकर कोराना संक्रमण से पीडितों की सेवा में लगे हुये है तथा अपने परिवार को छोडकर मानवता की सेवा में प्रयासरत हैं के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार उचित नहीं है वहीं दूसरी ओर सांसदों, मंत्रियों, विधायकों आदि के वेतन में कटौती नहीं हो पा रही है वहीं दूसरी ओर कोरोना वारियर कर्मचारियों के वेतन, भत्तों पर लगातार गाज गिर रही है । अच्छा होता कि सलाहकारों, अध्यक्षों, सदस्यों की नियुक्ति, नौकरशाहों के साथ घरों में कार्य करने के लिये जो दो-दो कार्य सहायक रखे गये हैं पर रोक लगायी जाती जिससे करोडों रूपये के व्यय से बचत होती ।
कर्नाटक ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार न करते हुये अपने अन्य खर्चो पर नियंत्रण करने के साथ साथ देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र दामोदर दास मोदी द्वारा बीस लाख करोड़ के दिये गये बजट का सदुपयोग करते हुये इस कोरोना काल में अपनी प्राणों की बाजी लगाकर कार्य कर रहे कर्मचारियों को प्रोत्साहित करेंगे साथ ही बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार देने हेतु नये पद सृजित करते हुये उन्हें भी इस आबंटित बजट का लाभ देने का प्रयास करेंगे। इस उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपदों में लगातार अप्रवासी ग्रामवासियों का आना बरकरार है और बेरोजगारी का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है ।
कर्नाटक के कहना है कि इस तुगलकी फरमान को तत्काल निरस्त करते हुये राज्य हित में कर्मचारियों/बेरोजगारों के पक्ष में अपना निर्णय करेंगे जिससे इस कोराना संक्रमण से लगातार लड़ रहे कर्मचारियों को उत्साह बरकरार रहे ।