अल्मोड़ा-आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर जिला कांग्रेस कार्यालय में उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये।इस अवसर पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष पीताम्बर पाण्डेय ने बताया कि राष्ट्रपिता कहलाने वाले महात्मा गांधी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।महात्मा गाँधी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है।इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था।इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी।गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था।जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा ,सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही पनपने लगे थे।वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे।भारत छोड़ो आंदोलन,असहयोग आंदोलन,सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया था। उन्होंने आगे बताया कि महात्मा गाँधी अहिंसा के पुजारी थे।सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय,शोषण,भेदभाव,अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना था।कई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी को जेल जाना पड़ा था।अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन,सविनय अवज्ञा आंदोलन,दांडी मार्च,भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।1942 अंग्रेजी हुकूमत को भारत से निकाल फेकने के लिए 8 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया।1942 भारत के इतिहास में आजादी के लिए किये गए आंदोलनों में से महत्वपूर्ण आंदोलन रहा है। ब्रिटिश सरकार को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए गाँधी जी द्वारा चलाया गया आंदोलन है जिसमे जनता द्वारा बढ़-चढ़ कर भाग लिया गया। उन्होंने आगे कहा कि लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय उत्तरप्रदेश में मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के यहां हुआ था। उनकी माता का नाम रामदुलारी था।
लाल बहादुर शास्त्री के पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे।ऐसे में सब उन्हें मुंशी जी ही कहते थे।बाद में उन्होंने राजस्व विभाग में क्लर्क की नौकरी कर ली थी।परिवार में सबसे छोटा होने के कारण बालक लालबहादुर को परिवार वाले प्यार से नन्हे कहकर ही बुलाया करते थे।भारत में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन के एक कार्यकर्ता लाल बहादुर थोड़े समय (1921) के लिए जेल गए।रिहा होने पर उन्होंने एक राष्ट्रवादी विश्वविद्यालय काशी विद्यापीठ (वर्तमान में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ) में अध्ययन किया और स्नातकोत्तर शास्त्री (शास्त्रों का विद्वान) की उपाधि पाई।संस्कृत भाषा में स्नातक स्तर तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे भारत सेवक संघ से जुड़ गए और देशसेवा का व्रत लेते हुए यहीं से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की।शास्त्री जी सच्चे गांधीवादी थे जिन्होंने अपना सारा जीवन सादगी से बिताया और उसे गरीबों की सेवा में लगाया।भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व आंदोलनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही और उसके परिणामस्वरूप उन्हें कई बार जेलों में भी रहना पड़ा।स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन,1930 का दांडी मार्च तथा 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं।इस अवसर पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष पीताम्बर पाण्डेय,नगर उपाध्यक्ष एनडी पाण्डे,महेश आर्या,राबिन भण्डारी,जिला प्रवक्ता राजीव कर्नाटक,जिला सचिव दीपांशु पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।