गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा के पर्यावरण आकलन और जलवायु परिवर्तन केंद्र (सीईएएंडसीसी) ने “जलवायु परिवर्तन और जलवायु लचीलापन निर्माण” विषय पर “आजादी का अमृत महोत्सव” मनाते हुए युवाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम सरकार की विज्ञान ज्योति पहल के सहयोग से आयोजित किया गया था। यह पहल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मेधावी छात्राओ को शामिल करने पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों, खतरों को गहराई से समझने तथा जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले जोखिम के प्रबंधन के बारे में बेहतर समझ विकसित कर जागरूकता और ज्ञान का विस्तार करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ. मिथिलेश सिंह (वैज्ञानिक- डी) ने कार्यक्रम के विषय पर संक्षिप्त में जानकारी दी और उपस्थित सभी विद्यार्थियों का स्वागत किया। कार्यक्रम की पहल करने के लिए प्रो. सुनील नौटियाल (निदेशक, जीबीपीएनआईएचई) ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों को अपने विचारो से प्रेरित कर उनका स्वागत और आभार व्यक्त किया। यह कार्यक्रम विज्ञान ज्योति पहल के तहत आयोजित किया गया और इस पहल के बारे में संक्षिप्त में बताने के लिए श्रीमति नेहा शर्मा (शिक्षिका, जवाहर नवोदया विध्यालया) ने विज्ञान ज्योति कार्यक्रम पर प्रस्तुति दी। उन्होने बताया कैसे यह कार्यक्रम मेधावी छात्राओं को आगे बढ्ने में मदद कर रहा है। इसी कड़ी में, डॉ जे.सी. कुनियाल (वैज्ञानिक-जी,अध्यक्ष,सीईएएंडसीसी) ने ऐरोसोल एवं जलवायु परिवर्तन विषय के बारे में परिचय देते हुए सभी प्रतिभागियों को ऐरोसल के हानिकारक प्रभावों के बारे में अवगत कराया।
उन्होने अपनी प्रस्तुति से छात्रो को समझाया की कैसे हिंदुकुश हिमालय में विभिन्न जलवायु चालक जेसे तापमान भिन्नता, बाढ़, बादल फटना जैसी प्राकृतिक आपदाए बढ़ रही है। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों से अपने प्रश्न पूछने के लिए आग्रह किया गया। डॉ जे.सी. कुनियाल ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए सभी को धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. मिथिलेश सिंह (वैज्ञानिक- डी) द्वारा अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया । उन्होंने निदेशक महोदय, मुख्य वक्ता और सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने कार्यक्रम की सफलता में योगदान दिया। जागरूकता कार्यक्रम में, संस्थान के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, जवाहर नवोध्य विद्यालय अल्मोड़ा के शिक्षक, विद्यार्थी, और जीबीपी-एनआइएचई के पर्यावरण आकलन और जलवायु परिवर्तन केंद्र (सीईएएंडसीसी) के सदस्यों सहित कुल 60 प्रतिभागियों ने भाग लिया।