कोरोना काल में संक्रमण को देखते हुये उत्तराखण्ड़ के पर्वतीय जनपदों के मूल निवासी जो विभिन्न राज्यों में नौकरी/व्यवसाय कर रहे थे वापस अपने -अपने घरों को आ गये हैं। यही युवा अपने परिवार के भरण पोषण के लिये राज्य छोड़कर अन्य राज्यों में नौकरी/व्यवसाय कर रहे थे जिस कारण अब इन युवाओं के सामने परिवार के जीविकोपार्जन का गम्भीर संकट आ गया है। पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन दिया है
ज्ञापन में कर्नाटक ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा लगातार यह कहा जा रहा है कि इस कोरोना काल में हमें स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बनना है जिसमें पर्याप्त सहयोग केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा दिया जायेगा किन्तु जब यह दोहरी मार पडे युवा ( कोरोना व नौकरी ) स्वरोजगार हेतु विभागों एवं बैंकों के पास जा रहे हैं तो अनेकों औपचारिकताओं की बात कर उन्हें सहयोग नहीं दिया जा रहा है जिस कारण ये युवा निराश होकर बैंकों से वापस लौट रहे हैं । यदि किसी बैंक में स्वरोजगार हेतु कोई आवेदन किया जाता है तो दस लाख की वित्तीय सहायता हेतु सोलह लाख रूपये की गारंटी(राज्य सरकार व केन्द्र के अधीन)बैंकों के द्वारा इन युवाओं से मांगी जा रही है । पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि सरकार द्वारा केवल विज्ञापनों में स्वरोजगार व आत्मनिर्भर बनने की बात की जा रही है जबकि इस कोरोना काल में आर्थिक रूप से पीडित युवा मानसिक तनाव में आ रहे हैं जिस कारण वह कभी भी गलत कदम उठा सकते हैं अथवा गलत गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं ।
उन्होंने कहा कि पर्वतीय जनपदों के युवाओं को स्वरोजगार हेतु सिंगिल विन्डो सिस्टम के तहत तत्काल रोजगार उपलब्ध कराने हेतु सरकार कठोर कदम उठायें तथा बैंकों को कडे निर्देश देते हुये यह स्पष्ट करें कि वह इन युवाओं को गुमराह न कर इनकी समस्याओं का बिना किसी गारंटी के समाधान करें और यह भी स्पष्ट करें कि यदि किसी विभाग अथवा किसी बैंक की शिकायत आती है तो उन अधिकारियों पर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुये इन समस्त युवाओं को सरकार द्वारा की गयी घोषणाओं को अमल में लाने का कार्य करेंगे । जटिल परिस्थितियों में सरकार द्वारा इन युवाओं का हाथ नहीं थामा गया तो आने वाले समय में उत्तराखण्ड राज्य के ये युवा जो राज्य के लिये सहायक हो सकते थे वह अभिशाप न बन जायं । कर्नाटक ने कहा कि सरकार निम्न बिन्दुओं को अमल में लाते हुये तत्काल निर्देश जारी करे-
1-स्वरोजगार हेतु आवेदन करने वाले युवाओं से बैंक द्वारा जो गारंटी ली जा रही है उसे सरल करते हुये जटिल औपचारिकताओं को हटाया जाय ।
2-आर्थिक रूप से पीडित ये युवा अनुदान/ऋण उपलब्ध होने तक किस प्रकार अपने परिवार का भरण पोषण करेंगे,इस स्थिति को मध्यनजर रखते हुये इन युवाओं को आर्थिक सहयोग दिया जाय । सरकार चाहे तो ऋण/अनुदान स्वीकृत होने पर इस धनराशि को समायोजित कर सकती है ।
3-स्वरोजगार हेतु बैंक द्वारा ऋण/अनुदान दिये जाने हेतु एक समय सीमा निश्चित कर दी जाय ।